पूना की सन्धि 3 जून, 1818 ई. में पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेज़ों के मध्य हुई थी। इस लड़ाई में पेशवा की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया। सन्धि के मुख्य बिन्दु बाजीराव द्वितीय एक क़ायर और विश्वासघाती व्यक्ति था। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद वह स्वयं ही सत्ता सुख भोगने के लिए आतुर हो उठा था। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद उसके रिक्त पद के लिए दौलतराव शिन्दे और जसवन्तराव होल्कर में प्रतिद्वन्द्विता शुरू हो गई थी। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण जो युद्ध हुआ, उसमें बाजीराव द्वितीय ने शिन्दे का साथ दिया, लेकिन होल्कर की सेना ने उन दोनों की संयुक्त सेना को पराजित कर दिया। भयभीत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 1801 ई. में बसई भागकर अंग्रेज़ों की शरण ली और वहीं एक अंग्रेज़ी जहाज़ पर बसई की सन्धि (31 दिसम्बर, 1802) पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके द्वारा उसने ईस्ट इंडिया कम्पनी का आश्रित होना स्वीकार कर लिया। अंग्रेज़ों ने बाजीराव द्वितीय को राजधानी पूना में पुन: सत्तासीन करने का वचन दिया और पेशवा की रक्षा के लिए उसने राज्य में पर्याप्त सेना रखने की ज़िम्मेदारी ली। इसके बदले में पेशवा ने कम...
वायुमंडल की परिभाषा पृथ्वी के चारों और लिपटा हुआ गैसों का विशाल आवरण (giant cover of gases) जो पृथ्वी का अखंड अंग है और उसे चारों तरफ से घेरे हुए हुए है, वायुमंडल (Atmosphere) कहलाता है. जलवायु वैज्ञानिक क्रिचफिल्ड के अनुसार वायुमंडल अपने वर्तमान स्वरूप में 58 से 50 करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात् कैम्ब्रियन युग (Cambrian era) में आया. वायुमंडल का भार 5.6×10 25 टन है एवं इसके भार का लगभग आधा भाग धरातल से 5500 किमी. की ऊँचाई पर पाया जाता है. आधुनिक अनुसंधानों से स्पष्ट होता है कि वायुमंडल की अंतिम ऊँचाई (विस्तार) 16 हजार कि.मी. से 32 हज़ार किलोमीटर के बीच है. वायुमंडल का 50% भाग इसके 5 1/2 कि.मी. की ऊँचाई तक, 75% भाग 16 कि.मी. के ऊँचाई तक एवं 99% भाग 32 कि.मी. ऊँचाई तक स्थित है. वायुमंडल का संगठन वायुमंडल का संगठन/संघटन (Composition of atmosphere) निम्नलिखित तत्वों से हुआ है – गैस (Gases) भौतिक दृष्टि से वायुमंडल विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है. 10 प्रमुख गैस वायुमंडल के संगठन/संघटन (atmosphere composition) के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं – गैसें ...
न्यूयार्क स्थित गाँधीजी की प्रतिमा व्यक्तिगत सत्याग्रह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा सन 1940 में प्रारम्भ किया गया था। इस सत्याग्रह कि सबसे बड़ी बात यह थी कि इसमें महात्मा गाँधी द्वारा चुना हुआ सत्याग्रही पूर्व निर्धारित स्थान पर भाषण देकर अपनी गिरफ्तारी देता था। अपने भाषण से पूर्व सत्याग्रही अपने सत्याग्रह की सूचना ज़िला मजिस्ट्रेट को भी देता था। शुरुआत 3 सितम्बर, सन 1939 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने यह घोषणा की कि भारत भी द्वतीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित है। वायसराय ने इस घोषणा से पूर्व किसी भी राजनीतिक दल से परामर्श नहीं किया। इससे कांग्रेस असंतुष्ट हो गई। महात्मा गाँधी ने भी ब्रिटिश सरकार की युद्धनीति का विरोध करने के लिए सन 1940 में अहिंसात्मक 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' आरम्भ किया। प्रथम सत्याग्रही 11 अक्टूबर, 1940 को गाँधीजी द्वारा 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के प्रथम सत्याग्रही के तौर पर विनोबा भावे को चुना गया। प्रसिद्धि की चाहत से दूर विनोबा भावे इस सत्याग्रह के कारण बेहद मशहूर हो गए। उनको गाँव-गाँव में युद्ध विरोधी तक़रीरें करते हुए आगे बढते चले ...
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