वायुमंडल की परिभाषा पृथ्वी के चारों और लिपटा हुआ गैसों का विशाल आवरण (giant cover of gases) जो पृथ्वी का अखंड अंग है और उसे चारों तरफ से घेरे हुए हुए है, वायुमंडल (Atmosphere) कहलाता है. जलवायु वैज्ञानिक क्रिचफिल्ड के अनुसार वायुमंडल अपने वर्तमान स्वरूप में 58 से 50 करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात् कैम्ब्रियन युग (Cambrian era) में आया. वायुमंडल का भार 5.6×10 25 टन है एवं इसके भार का लगभग आधा भाग धरातल से 5500 किमी. की ऊँचाई पर पाया जाता है. आधुनिक अनुसंधानों से स्पष्ट होता है कि वायुमंडल की अंतिम ऊँचाई (विस्तार) 16 हजार कि.मी. से 32 हज़ार किलोमीटर के बीच है. वायुमंडल का 50% भाग इसके 5 1/2 कि.मी. की ऊँचाई तक, 75% भाग 16 कि.मी. के ऊँचाई तक एवं 99% भाग 32 कि.मी. ऊँचाई तक स्थित है. वायुमंडल का संगठन वायुमंडल का संगठन/संघटन (Composition of atmosphere) निम्नलिखित तत्वों से हुआ है – गैस (Gases) भौतिक दृष्टि से वायुमंडल विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है. 10 प्रमुख गैस वायुमंडल के संगठन/संघटन (atmosphere composition) के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं – गैसें ...
गाँधी जी ने हरिजन उत्थान के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया। प्रसिद्ध 'पूना समझौते' के बाद गाँधी जी ने अपने आपको पूरी तरह से हरिजनों की सेवा में समर्पित कर दिया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने 1932 ई. में 'अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग' की स्थापना की। गाँधी जी का कथन अन्य शुद्धि के लिए उपवास के दौरान गाँधी जी ने कहा कि "या तो छुआछूत को जड़ से समाप्त करो या मुझे अपने बीच से हटा दो। यह मेरी अंतरात्मा की पुकार है, चेतना का निर्देश है।" जनवरी 1933 ई. में गाँधी जी ने 'हरिजन' नामक साप्ताहिक पत्र का भी प्रकाशन किया। उन्हें एम.सी. राजा जैसे हरिजनों का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने हरिजनों के लिए जगहों के आरक्षण के साथ एक ही निर्वाचक मण्डल की इच्छा ज़ाहिर की। लेकिन अम्बेडकर के नेतृत्व ने इसी स्वीकार नहीं किया। अम्बेडकर ने ऐसी प्रणाली को मानने से इंकार कर दिया, जिनमें हरिजनों को हिन्दू तो कहा जाता था, किन्तु उन्हें अस्पृश्य माना जाता था। पूना समझौता मुख्य लेख : पूना समझौता अनशन के कारण गाँधी जी का स्वास्थ्य काफ़ी तेज़ी से गिरने लगा था। मदन मोहन मालवीय, डॉक्टर राज...
होमरूल लीग आन्दोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीक़े से स्वशासन को प्राप्त करना था। इस लीग के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक एवं श्रीमती एनी बेसेंट थीं। स्वराज्य की प्राप्ति के लिए तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 ई. को बेलगांव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी। इनके द्वारा स्थापित लीग का प्रभाव कर्नाटक, महाराष्ट्र (बम्बई को छोड़कर), मध्य प्रान्त एवं बरार तक फैला हुआ था। स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा - बाल गंगाधर तिलक शाखाएँ तथा प्रचार होमरूल लीग की छ: शाखाएँ बनायीं गयीं। मध्य महाराष्ट्र, बम्बई, कर्नाटक और मध्य प्रान्त में एक-एक तथा बरार में दो। बाल गंगाधर तिलक ने छ: मराठी और दो अंग्रेज़ी परचे निकालकर उन्होंने अपने प्रचार कार्य को तेज कर दिया। तिलक ने जनता को होमरूल की आवश्यकता को समझाते हुए कहा, "भारत उस बेटे की तरह है, जो अब जवान हो चुका है। समय का तकाजा है कि बाप या पालक इस बेटे को उसका वाजिब हक दे दे।" तिलक ने मई, 1917 ई. में नासिक में लीग की पहली वर्षगांठ मनाई। एनी बेसेंट का योगदान भारत आकर एनी बेसेंट ने साप्ताहिक पत...
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